ताजा समाचार

Veerangana Yashvini Dhaka: शहीद पति की इच्छा पूरी कर बनीं लेफ्टिनेंट, कहा – यह तो बस शुरुआत है

Veerangana Yashvini Dhaka: 2021 में तमिलनाडु के कूनूर में देश के तत्कालीन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 12 अन्य अधिकारियों ने अपनी जान गंवाई। उन्हीं शहीदों में से एक नाम था स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह राव का। अब, उनके बलिदान को सम्मानित करते हुए उनकी पत्नी वीरांगना यश्विनी ढाका ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपने पति से किए वादे को पूरा किया है।

Veerangana Yashvini Dhaka: शहीद पति की इच्छा पूरी कर बनीं लेफ्टिनेंट, कहा - यह तो बस शुरुआत है

शहीद कुलदीप सिंह राव का बलिदान

स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह राव राजस्थान के झुंझुनू जिले के घारदाना खुर्द के रहने वाले थे। वे उन बहादुर सैनिकों में से एक थे जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान की आहुति दी। जब कुलदीप सिंह की अंतिम यात्रा निकाली जा रही थी, तब उनकी पत्नी यश्विनी ढाका ने अपने पति की वर्दी को पहनने और सेना में शामिल होने का संकल्प लिया था। उस समय यह संकल्प एक वीरांगना की अदम्य साहस और संकल्प का प्रतीक बन गया।

सेना में शामिल होने का सफर

यश्विनी ढाका का सेना में शामिल होने का सफर आसान नहीं था। उनके सामने कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन उन्होंने हर चुनौती का सामना किया। अपने पति के बलिदान से प्रेरित होकर उन्होंने कठिन परिश्रम किया और पांच दिवसीय सेवा चयन बोर्ड (SSB) परीक्षा और मेडिकल टेस्ट पास किया। इसके बाद, 2023 से उन्होंने चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में 11 महीने की कठोर ट्रेनिंग ली। यह प्रशिक्षण उनके लिए एक नए अध्याय की शुरुआत थी, जो उन्हें सेना में लेफ्टिनेंट बनने के उनके सपने की ओर ले गया।

ट्रेनिंग के बाद मिली कमीशनिंग

7 सितंबर को चेन्नई में कुल 297 भारतीय कैडेट्स ने 11 महीने का प्रशिक्षण पूरा किया। इनमें 258 पुरुष और 39 महिलाएं शामिल थीं। इन सभी को सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला। इन कैडेट्स के साथ-साथ मालदीव की सशस्त्र सेनाओं के छह अधिकारियों सहित 15 विदेशी सैन्य कर्मियों ने भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह एक गर्व का क्षण था, न केवल यश्विनी के लिए, बल्कि उन सभी के लिए जिन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कठोर परिश्रम किया था।

PSL 2025: मोहम्मद रिजवान की टीम जीत के लिए तरस रही! प्लेऑफ में पहुंचना मुश्किल
PSL 2025: मोहम्मद रिजवान की टीम जीत के लिए तरस रही! प्लेऑफ में पहुंचना मुश्किल

“यह तो बस शुरुआत है”

लेफ्टिनेंट बनने के बाद यश्विनी ढाका ने कहा, “यह अंत नहीं है, यह तो बस शुरुआत है।” उनकी यह टिप्पणी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई जो जीवन में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। यश्विनी का सेना में शामिल होना न केवल उनके पति के बलिदान का सम्मान है, बल्कि यह उनके साहस और संकल्प का भी प्रतीक है।

यश्विनी ने यह साबित कर दिया है कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति हो, तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। उन्होंने यह भी दिखाया कि अपने प्रियजनों के सपनों को पूरा करने के लिए हमें हमेशा तत्पर रहना चाहिए, चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो।

परिवार और समुदाय की प्रतिक्रिया

यश्विनी के इस महान कार्य से उनके परिवार और समुदाय में गर्व का माहौल है। उनके परिवार ने हमेशा उन्हें समर्थन दिया और उन्हें इस महान कार्य के लिए प्रेरित किया। यश्विनी की मां ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी बेटी को मजबूत और साहसी बनने के लिए प्रेरित किया, और आज वह अपने पति के सपने को पूरा कर रही है।

यश्विनी के गाँव और समुदाय में भी यह खबर गर्व का विषय बनी हुई है। गाँव के लोगों ने उन्हें बधाई दी और उनके साहस की सराहना की। उनके इस निर्णय ने गाँव के युवाओं में भी देश सेवा की भावना को बढ़ावा दिया है।

भविष्य की योजनाएँ

अब जब यश्विनी ढाका सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं, उनकी यात्रा यहीं नहीं रुकने वाली। वे सेना में अपने पति के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए और भी कड़ी मेहनत करेंगी। वे न केवल अपने पति की याद में, बल्कि देश की सेवा करने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए भी आगे बढ़ेंगी।

RVUNL JE Result 2025: RVUNL JE और जूनियर केमिस्ट परीक्षा परिणाम घोषित, चेक करें अपना स्कोर
RVUNL JE Result 2025: RVUNL JE और जूनियर केमिस्ट परीक्षा परिणाम घोषित, चेक करें अपना स्कोर

उनकी यह यात्रा निश्चित रूप से कठिनाइयों से भरी होगी, लेकिन यश्विनी ने यह साबित कर दिया है कि उनके पास हर चुनौती का सामना करने की ताकत है। उनकी यह कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है जो किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।

नारी शक्ति का प्रतीक

यश्विनी ढाका का यह कदम नारी शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं। उनके इस साहसिक कदम से महिलाओं के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त हुआ है, जो उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगा।

यश्विनी ढाका का सेना में शामिल होना न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। उनकी इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है, बशर्ते हमारे पास उसे पूरा करने की इच्छा और संकल्प हो। यश्विनी की यह यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है।

Back to top button